Sunday, June 1, 2008

हम क्या कुछ नहीं कर सकते

1 जून, 2008
आज रवीश जी का ब्लाग पढ़ रहा था ... बड़े पत्रकार हैं ... उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा है कि उत्तर प्रदेश में इस बार हाई स्कूल की परीक्षा में पंद्रह लाख परीक्षार्थी फेल हो गये ... उनके ब्लॉग को पढ़ने से मैं जो निष्कर्ष निकाल पाया, उसका लब्बोलुआब यही था कि आजकल शिक्षक बच्चों को पढ़ाते ही नहीं है लिहाजा बिना नकल किये बच्चों का पास होना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है ... पंद्रह लाख परीक्षार्थियों के फेल होने पर रवीश जी चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में घटित हुए इस भीषण हादसे पर एक शोक सभा का आयोजन किया जाये ... लेकिन मेरे दिल और दिमाग में कुछ और ही आता है ... कि आखिर देश में इतना कुछ गलत हो रहा है ... और हर कोई चाहता है कि वो ठीक हो ... तो फिर यह ठीक क्यों नहीं हो रहा ... आखिर क्या वजह है इसकी ? देश के युवाओं में इतना जोश और इतनी सामर्थ्य है कि देश का कायाकल्प हो सकता है ... सबसे बड़ी बात यह है देश का युवा चाहता भी है कि देश में व्याप्त बुराइयां दूर हों और दुनिया में हमारा देश अमेरिका और दूसरे विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा नजर आये ... लेकिन इसके लिए जरुरत है संगठित होने की, एक विचारधारा पर दृढ़ रहने की और इस बात की प्रतिज्ञा करने की,, कि जब तक देश को बुराइयों से मुक्त नहीं कर देंगे ... चैन से नहीं बैठेंगे ... आखिर क्यों पढ़े लिखा युवा राजनीति में नहीं आते ... क्यों राजनीति में आने के लिए बाहुबली और धनकुबेर होना जरुरी है ... कोई तो बात है ... हालांकि देश के निर्वाचन आयोग ने काफी प्रयास करके चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाया है ... लेकिन फिर भी आज एक आम आदमी के लिए चुनाव लड़ना एक बहुत बड़ा काम है ... क्योंकि उसे न तो मीडिया कवरेज मिलेगा और न ही दूसरे बाहुबली प्रत्याशी उसे चुनाव लड़ने देंगे ... आज देश की संसद में ऐसे लोग विराजमान हैं जो न तो किसी मुद्दे पर बोल सकते हैं और न ही संसद में अपने क्षेत्र की आवाज़ को बुलन्द कर सकते हैं ... उन्हें तो बस शोर मचाना है और सत्ता के अंकगणित से अपना लाभ निकालना है ... ताकि वो और उनकी आने वाली पुश्ते बैठे बैठे खाती रहें और देश की छाती पर मूंग दलती रहें ... दरअसल यह ब्लॉग बड़ा अच्छा मंच है ... दोस्तों अगर आप भी देश के प्रति उतनी ही कशिश से सोचते हैं तो जुड़ना ही होगा ताकि इस देश के प्रधानमंत्री का पद सत्तर से ज्यादा उमर के नेताओं के लिए आरक्षित न रहे ... देश को चाहिये युवा प्रधानमंत्री, युवा राष्ट्रपति और ऐसी संसद जहां हर समस्या के हर पहलू पर आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विचार हो और जब भी कोई योजना लागू हो तो उसका लाभ हर उस व्यक्ति तक पहुंचे जिसके लिए वो योजना लायी गयी है ...

1 comment:

अबरार अहमद said...

भईया अंधेरा अभी तक कायम है।
यह सारा माल मुलायम है।।
जय हो समाजवाद की।
अब हर कोई पढेगा, यूपी ऐसे ही बढेगा।